मिनख उवारण, मिनख दुवावण, जै कुरसी माई
प्रजातंत्र घर जलमी, मजातंत्र ब्याही जै कुरसी माई
और देव दोपग्गा, चारभुजाधारी
दोहत्थी, चौपग्गी, धिन माया थारी —जै कुरसी माई
हे कळजुग री काळी, थूं जद महर करै
गळी बुहारण वाळा, सिर पर छतर धरै-जै कुरसी माई
थारी बरसी माथै, मेळो जबर मचै
बड़ा-बड़ा रा कच्चा चिट्ठा रोज बचै —जै कुरसी माई
भला भला भी भटकै, भौपू ले ले कै
भला भला पर कादो, भला भला फैंकै —जै कुरसी माई
वागवीर भिड़ जावै, तीर चलै तीखा
सांचोरी सांड्या रा सींग पड़ै फीका जै कुरसी माई
एक वार जो थारी, चरण सरण पावै
गुण रै माथै माख्यां ज्यूं बैठ्यो जावै—जै कुरसी माई
जो छळ बळ सूं ध्यावै थारी सेवा करै
भाई, भतीजा, साळा, सब नै न्या’ल करै —जै कुरसी माई
मोटर थारी वाहण, मिंदर है बंगला
यानै खुद रा जाणै, वै डूबै सगला —जै कुरसी माई
ज्यां नै थूं तज देवै, चैन नहीं पावै
उचक उचक गै’लां ज्यूं थां कानीं आवै —जै कुरसी माई
मोटर नै तज जो जन, वोटर नै ध्यावै
वो थामे मिल जावै, पाछो नी आवै —जै कुरसी माई