आम तो म्हुँ
कैवउँ भाटो
करम फूटा नो
कौ -
कै पसे
करम नु कमाड़
उगाड़वा वारो
जैवो कर्यो उपयोग
एवो ज कैवायों हुं
कांगरे बैवाडो कै
भौंय मएँ डाटो
सुटो मारो
कै साने-साने
घडीने मूर्ति बणावो...
कै पछै
ठालो पड़्यो रैवादो!
असर तो देकाड़ूंगा
म्हारु वजूद
तमारा हाथ मएँ
गली मएँ मारो तो
कांकरी-सारो,
नदी मएँ रम्मत
ने आम्बे गम्मत
छौरियँ नै हात मएँ-
तो पांचिका
नेता ने मारो तो
लोकतंत्र माते खतरो
भटकेली मानसिकता हामै
मानवाधिकार नु हनन,
जै चावौ इ
बणी जउँ!