माटी री सौरम

सांसां मांय घुळ जावै

तो जीवण सफळ होय जावै

माटी रो मिनख

जे आपरी माटी नैं याद नीं राखै

तो उणरै जीवण रो कांई मोल!

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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