जीवड़ां री देही सूं
उतपत होवण सूं पैलां
कुण जाणै कै औ कादौ
भळहळतौ गहणौ बण जासी।
कादै रा कांई गुण होसी,
पण औ लाख रौ कादौ,
कठोर हुवै जणा थिर,
तरळ हूवै जणां मासूमी लचक,
अर किणी तूटोड़ै रौ सांधौ
लगावण खातर खरौ चींचड़ सूं ई,
अर राखै अंतै मांय अगन अणूती।
तासीर आदमी री कद होसी,
सागै लाख री भांत,
कै देवै फूटरापौ आपरी उजास सूं,
रेवै हिम री भांत सीतळ,
किणी री तूटोड़ी नै कद दैसी सांधौ,
अर छाती मांय भर राखै अगन अणूती।