चाई (चाय) पी, उन्हँ-बळबळती, ताती

तो भी काळज्या की लाई-सेळी न्हँ होई

जे फेर उन्हँ बीड़ी जोई।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : अंबिका दत्त ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
जुड़्योड़ा विसै