कोई जरूरी कोन कै
अेक लहर मिट जायैगी
जद ही दूसरी लहर आयैगी
लहर गड्डमड्ड होती जावैं
या बात मैं समझ्यो
ज्वार भाटा की रात में
समुंदर खनै जा’र
विशां थम या समझ सको
कोरोना रोकबा का दावान सूं भी