कुण देवैलौ हेलौ देखां, कुण देवैलौ गैलौ रे,

चालण हाळा चाल अेकलौ, जग रो तो मन मैलौ रे।

कितरा चाँद सूरज ढळ जावै,

कितरा सपन सांच छळ जावै,

कितरा आस हेम गळ जावै,

कितरा हेत रेत रळ जावै।

टोळी रा टाबरियां टळिआ, मिटियौ सारौ खेलौ रे,

चालण हाळा चाल अेकलौ, जग रो तो मन मैलौ रे!

पिणघट कैवै कोनीं पांणी,

झुरमुट कैवै छांव अजांणी,

भूल भाड़ में पड़गी धांणी,

बळद बापड़ो चढग्यौ घांणी।

अठै सांस रौ मोल नहीं है, मूँगौ होग्यो धेलौ रे,

चालण हाळा चाल अेकलौ, जग रो तो मन मैलौ रे!

दुनियां गांठ घणी उळझावै,

तार प्रीत रा कुण सुळझावै,

नैणाँ रौ समदर ढुळ जावै,

कदे कोई पाळ बंधावै।

कुण नै मारग पूछै पंथी, लूट लेवसी ठेलौ रे,

चालण हाळा चाल अेकलौ, जग रो तो मन मैलौ रे!

आज उणमणी होगी मौळी,

किण रै माथ लगाऊं रोळी,

भांग बादळा सगळै घोळी,

किण रै आगै मांडू झोळी।

बाबौ बाटी बरै अंगीठी, छांनै काढ़ै चेलौ रे,

चालण हाळा चाल अेकलौ, जग रो तो मन मैलौ रे!

किण री पोळी जाजम ढाळूं,

किण रै मिंदर दीप उजाळूं,

किण रै आंगण पीपळ पाळूं,

किण रा मोबी खेत रुखाळूं।

मेळौ बोळौ दरसण थोड़ा, देवै लोग धकेलौ रे,

चालण हाळा चाल अेकलौ, जग रो तो मन मैलौ रे!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी काव्य संग्रह (कक्षा-12) ,
  • सिरजक : कल्याण सिंह राजावत ,
  • संपादक : 2006 ,
  • प्रकाशक : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान
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