दादै री आंख्या भीजतां पाण

सरू हुज्यै फोन री सक्रीन धुंधळी पड़णी

फोन मांय वीडियो कॉल माथै

किलकोळिया करतो पोतो

दिखाण लागै किणी दूजी दुनिया सूं बात करै

दादो भीतर रै अंधारै नैं

चेतावणी सी देंवता केवै पोतै नैं—

सो कीं ठीक होज्यासी, साधन चाल्यां पछै

बेगा मिलांला म्हारा लाल

पण दादो जाणै है

ईण महामारी मांय

मिनख ईंयां जावै जियां पून रै सरड़ाटै सूं

कोई पत्तो उड़'र जा पड़ै है कोसां कोस

आखी दुनिया मांय सु'नेड़ हो री है

का'ल तांई चांद माथै झोळा झिंडा ले'रांवतो मिनख

आज लासां ठिकाणै लगाण री जुगत मांय है

सड़कां माथै लट्ठ बजांवता पुलिसिया

भीतर भीतर कांपै इस्यै दुसमण सूं

जिको अणदेख्यो है

आस-पड़ोस री तो बात के

माणस-लुगाई डरै एक-दूजै सूं

होक्कापाणी बंद करणवाळी सै पंचायतां

फेल करदी अण जिनावर

गळी बगतो मिनख दूजै नै देख

हटज्यै दो हाथ पासै

काईं ठा कुण घाले फिरतो हुवै चिमठी मांय

अर मोको मिलतां चेपद्यै कोरोना

स्रोत
  • सिरजक : अनिल अबूझ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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