नाचतो
हिड़कावतो
आय ढूक्यो
कोढियो
अबकी बार
धोरा धरती माळै।
कोनी पसीज्यो
आभै रो
भाठै मान हियो।
पड़ी कोनी छांट
मोबी बाजरी रै खेतां।
रैयगी साव तिरसाई
तीजण्यां
सावण गाज्यो नीं
मैंदी राची नीं
घूमर घाली नीं।
कोनी सुण्या
लूरां रा रमझोळ
भादूड़ै।
बरस्या कोनी
आसोजां रा मोती।
कळायण ऊमटी नीं
बीजळ झपकी नीं
उतराध गाजी नीं।
टींटोड़ी बोली नीं।
उगेर्या कोनी धरती
हळोत्यै रा गीत।
उकळती भोभर
बिखेर दिया खीरा
च्यारूं कूंट।
उदास पिणघटां
सूना कूवा
सिसकै छांट पाणी नै।
निमड़ग्यो कांईं पाणी
आभै री बावड़ी रो।
नागा खेजड़ा
कोनी पैर्या
गैणां रा झूमका।
करळावै मोरिया
बिळखै सूवटा
काळ फिरग्यो
ढाणीढाणी।
तिरस मांगती फिरै
चळू चळू पाणी।
मनावै तिंवार
कांवळा गिरजड़ा
पाणी बिकै
रगत रै मोल।
मानखो अबै
जीवै तो कियां
अर
मरै तो कियां?