थारी सैनाणियां

जकी नैं तूं कैवती गिफ्ट

म्हैं राखूं हूं सबसूं

ओलै-छानै

इण वास्तै नीं कै कोई

देख लेसी

अब तो देख’र भी

कांई देख लेसी?

म्हैं तो डरूं

इण वास्तै

कै कोई लेय नीं जावै

अै थारी सैनाणियां

कै जियां थनै लेयग्यो

बो परदेसी

अै थारा अैनांण भी

नीं रैया

तो कियां हुसी पतियारो

कै तूं भी ही कदै।

स्रोत
  • पोथी : अैनांण ,
  • सिरजक : आशीष पुरोहित ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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