कैवती

सूका खूड़ कोनी काढ़ीजै

अर जावती जावती

कर देवती म्हारो उणियारो सीलो

मांड देवती

म्हारै होठां पर आपरै दांतां री निसानी!

मरज्याणी हिसाबण पक्की ही!

स्रोत
  • सिरजक : दुष्यंत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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