खेत-
भरतो हो पेट
म्हारो, परिवार रो
जद तांई हो
म्हारो।
अब भरै खजानां
बाणियां रा
रैय’र अडाणै
म्हे भूखा रा भूखा!
स्रोत
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पोथी : इक्कीसवीं सदी री राजस्थानी कविता
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सिरजक : संजू श्रीमाली
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संपादक : मंगत बादल
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प्रकाशक : साहित्य अकादेमी
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- संस्करण : प्रथम संस्करण