वांरा हाथां में कीं नीं हौ

नीं पेटै कोई अचूंकी अंवळी बात

वौ दीखतौ सरूप निबळी देही रौ,

वौ निरभै नैठाव-

ज्यूं नाडी री पाळां में दरियाब

आभै में उडता पंखेरू रौ पंथ

वौ ऊंतावळ-बिहूण वांरौ उणियारौ।

नीं रह्यौ कदे'ई

करतब दरसावण रौ कोड

नीं दावौ पिरथी नै पाळण रौ-

पांणी रौ सुभाव जमीं पोखणौ

जमीं रौ ईमांन देवणौ निपज नै आधार।

अलबत कुदरत रा कायदा सूं

की न्यारौ है वांरौ कमठांण

पवन-पांणी री चंचळ आदतां में

बिलमै कोनी आदमी रौ मन

फगत मरजी परवांणै

उळांघै कोनी मरजादा री सींव,

पण छेह लियां

तोड़ नांखै सरणाटौ

कुजबरी घातां अटियोड़ी भौम

ओछौ दरसण दुनियादारी रौ-

बरसां तांई अबखता रह्या

अर लूटणियां रा लाधा कोनी खोज?

आंधी-बतूळां ओखी जीवारी

ऊंडी सीरां गमियोड़ौ नीर

सूकग्या निवांण

आथड़ती मौत-

रैण अंधारी!

काळ-दर-काळ करतां पार

मानखौ आय पूग्यौ सईकै रै आखरी दुवार

सूका आदरसां बणी कोनी तरकारी

बिच्चै केई बरसां तांई

दिलासा अर भरम री भासा रै ओळावै

पांघरती रही पांव

अर लोग खिणतां-खिणतां

सांप्रत लोही-झांण व्हैग्या

मांदगी अर मगजाई

मरता रह्या लोग

अर भौळा वैद देवता रह्या

भावना री भूसी ईसपगोळ

अलेखूं जीवता मसांण व्हैग्या

पांणी रै तोटै सूं मोटौ कांई व्है संताप

वांणी रै बंधण सूं भली बेड़िया!

वै जठै हा, वठै अलोप व्हैग्या

कळझळ में दीखता रह्या हालता वांरा हाथ,

अड़वां रा मुळकता उणियारा

चौबारै ऊभा व्हग्या,

पंचायतघर में आवता रह्या

नित-ऊगै नवा फरमांन

अर लोग फगत सुणण रा कांन व्हैग्या

खाली हाथां रौ अबखौ खेल

वां पैली वार खेल्यौ

अर देखतां-देखतां

अेक बरसां सूं जम्योड़ौ बाजीगर

नागौ अर बगनौ व्हेग्यौ-

यूं वांरा हाथां में कीं हौ।

स्रोत
  • पोथी : आगै अंधारौ ,
  • सिरजक : नन्द भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : Prtham