अेका रै ओका, प्यारा सांचा दिल सूं आव,

प्यारा सांचा दिल सूं आव रै!

सांच्यां ही आया सूं म्हां की जीत छै॥

धंधा रै धंधा, भाया प्यारो म्हांनै लाग,

भाया प्यारो म्हांनै लाग रै!

ठालां की दुनिया में भाया पै नहीं॥

घाटा रै घाटा, बैरी पल्लो म्हां को छोड़,

बैरी पल्लो म्हां को छोड़ रै!

ठैर्‌‌यो तो बिगड़ैली थारी आबरू॥

पीसा रै पीसा, प्यारा पल्लै म्हां कै ठैर,

प्यारा पल्लै म्हां कै ठैर रै!

चाय की बेळ्यां क्यों भार्‌यो व्है रह्यो॥

ताता है ताता, बैरी सीळो होकर बोल,

बैरी सीळो होकर बोल रै!

थारी रै ठणकाई कै दिन चालसी॥

सूता रै सूता, प्यारा अब तो जल्दी जाग,

प्यारा अब तो जल्दी जाग रै!

सोयां सूं भाईड़ा म्हारा नै सरै॥

सैरी रै सैरी, प्यारा पांव जमीं पर टेक,

प्यारा पांव जमीं पर टेक रै!

ऊंचो रै झांक्यां सूं ठोकर खायलो॥

बामण रै बामण, भाया धरम करम नै पाळ,

भाया धरम करम नै पाळ रै!

जदां तो दुनिया भी लैरां लागसी॥

ठाकर रै ठाकर, प्यारा नुवो जमानो देख,

प्यारा नुवो जमानो देख रै!

दुनिया कै सागै तू प्यारा चाल रै॥

बांण्यां रै बांण्यां, भाया पूरै कांटै तोल,

भाया पूरै कांटै तोल रै!

नांतर तो होवैली भाया सांतरी॥

करसा रै करसा, प्यारा अब तो तू भी चेत,

प्यारा अब तो तू भी चेत रै!

थारै रै चेत्यां सूं बेड़ो पार छै॥

स्रोत
  • पोथी : स्वतंत्रता संग्राम गीतांजली | स्वाधीनता संग्राम की प्रेरक रचनाएं ,
  • सिरजक : हीरालाल शास्त्री ,
  • संपादक : मनोहर प्रभाकर / नारायणसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थान स्वर्ण जयंती समारोह समिति, जयपुर / राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी
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