सुख रो सूरज ऊग्यो कोनी, लांबी दुख री रातां काळी।
घाव बण्या नासूर हियै रा, कीकर धोकै आज दियाळी॥
दाणां ल्यावै पड़ता रुड़ता
धोती फाटी फाट्या कुड़ता
चीर फाटग्यो घरवाळी रो
टाबर भूखा डोलै गुड़ता
घर गाभै री कांई सोचै, चकरी चढगी खाली थाळी।
घाव बण्या नासूर हियै रा, कीकर धोकै आज दियाळी॥
आवै जद भी रुत वोटां री
नेता बिरखा कर नोटां री
कर कर वादा कूड़ा साचा
अकल काढ छोटा मोटां री
वोट से गायब हो ज्यावै, बाबो आयां बजै ताळी।
घाव बण्या नासूर हियै रा, कीकर धोकै आज दियाळी॥
बिन्या रकम घर क्यां सूं चालै
दुखड़ा मन में घेरा घालै
कामकाज नी मिलै हाथ नै
निकमांपणो हियै नै सालै
सगळां नै रूजगार मिलैलो, सिरकारां रा वादा जाळी।
घाव बण्या नासूर हियै रा, कीकर धोकै आज दियाळी॥
नेता जीतै चावै हारै
जन नै चींथै दाबै मारै
जीत जाय मुंडै नी बोलै
कद लोगां रो हिवड़ो ठारै
छोलै छुटभइया छाती नै, मारण सारू गूंथै गाळी।
घाव बण्या नासूर हियै रा, कीकर धोकै आज दियाळी॥
रकम खेत री चुकी कोनी
बात ब्याज री मूकी कोनी
बैंक कुड़क कर लियो खेत नै
किस्त लोन री ढूकी कोनी
जमीं गयी निरथळिया हूग्या, पेट भरण नै बणग्या हाळी।
घाव बण्या नासूर हियै रा, कीकर धोकै आज दियाळी॥
कद हालत बदळैली जन री
कद मिटैली कमी अन्न री
आजादी रो सुपणो आधो
आसा कद पूरैली मन री
बाग देस रो सूकण ढूक्यो,'संतू' तूं खुद बणज्या माळी।
घाव बण्या नासूर हियै रा,कीकर धोकै आज दियाळी॥