ठेठ आंतरै

लाधै

कीं खरौ

ऊभूं जठै

पग रोप

चींथू थनै

आपरौ आपौ छोड़

मुळकती थूं

बधा म्हारौ कुरब

केवट

उफणतौ रगत

निथार खुद नै

उपजा

सपनौ सोवणौ

जकौ

म्हारौ बाजै

म्हैं बांधूं

फेरूं साफौ

थूं लाजाळू बण

धारण कर

धरम

निभा कायदौ

म्हारै साथै रैवण रौ

इण सूं मोटौ

कांई फायदौ!

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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