काच-पाणी सी...

बगती कळकळाट करती

नदी-सी कविता

अर

टापू-सो उभरयोड़ो म्हैं।

स्रोत
  • पोथी : खोयोड़ै समदर रा सुपना ,
  • सिरजक : विजयसिंह नाहटा
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