कविता—

जीवण रा कुरुखेत में

रोटी री गीता

कविता—

जीवण-जातरा में

आवण-जावण रौ चक्कर

पेट-भूख सूं टक्कर।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : रमेश ‘मयंक' ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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