कविता कर्‌यो बिरोध

सामाजिक अन्याय रो

राजनैतिक भिसटाचार रो

धरम री कट्टरता रो

तसकरां री नौकरसाही स्यूं

सांठ गांठ रो

अैटम रै परिकसण रो

जणा कविता रा बैरी

दीन्ही कचेरी में अरजी

जकी में लिख्यो

कविता रा आरोप साव झूठा है

जणा कविता नै मिल्यो कचेरी स्यूं समन

हुवै हाजर फलां तारीख पर

जणा कविता हुई हाजर

पेसकार बांच'र सुणाया आरोप

कविता कैयो कै

अै सगळा आरोप साचा है

मनै दी जावै सजा

सुण'र हाकम दियो फैसलो

दी जावै कविता नै फांसी।

स्रोत
  • पोथी : कन्हैयालाल सेठिया समग्र (राजस्थानी) ,
  • सिरजक : कन्हैयालाल सेठिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान परिषद, कोलकाता ,
  • संस्करण : प्रथम