तड़कै दिनूंगै एक गुलाब रो फूल खिल्यौ
तो म्हूं जाण्यो-
अेक थूं म्हारै कनै
कठै नजीक ई है।
पण जद ई कोई एक अनीत्यो टाबर
सूनी सी जल लहरी की सतै माथै
एक कांकरों गेर दियो
अर म्हूं समझ ग्यो
अेक झूंठ कितरो खूबसूरत हुवै
अर ठोस कतरौ ठोस। पण जोड़ो॥
म्हूं पण इणी खूबसूरती रै हांथा
हो रियो हूं कतल....
आई झूठी धोकारी चानणी
छल री है म्हूनै।
आखिर बात के है अर
म्हूं बगावत क्यूं नी करूं हूं
कर रियो हूं
म्हूं कांई बूढ़ो हो रियो हूं॥