म्हारो आंचल पूछ रियो है

इण बार कांई

रंगों कोनी गोरी मने?

मनड़ा पे हाथ धरयो

लंबी उंसास लेन बोली

ज़्यादा कसक मत रे!चूनरी

कुण रंगेला थनै

पिया बैठो परदेस

आवता फागण

होसी फाग थारो

इण वार तो थनै

म्हारां जूं कसक काटणी पड़सी

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : किरण बाला 'किरन' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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