जेठ री दोपहरी में
तपती धरती परै
लू री लपटां रै लारै
सूरज रा तेज नै
आपणां
उघाड़ा मोरां पै झेलतौ
ऊबाणा पगां
खेत में
हळ हाँकबा रै लारै
पसीनो पौंछतौ
आभै सामी झाँकतौ
टचकारी करतौ
घेर रियौ धोरयां नै
धरती रो धणी
करसाण,
अर
लाखां रा
वारा-न्यारा करणवाळौ
दो भाँत री बहियाँ रो धणी
सूतो है
शाही ठाट सूं
मखमल रा गदैला पै
ऊँची हवेल्यां में
बिजळी सूं-
चालता पंखा रै नीचै
कूलर लग्या कमरा में!
वणी'ज पखवाड़ा में
एक दिन दोपैरी में
चाणचक
सूरज ने ढाँक लियौ
गरजण रै लारै
घटाटोप
काळा काळा वादळाँ
चमकण लागी विजळियां
अर
बोल उठ्या मोरया
.....मियो....आओ....मियो.....आओ....
इयां बोलता मोरयां नै
सुण नै
बात री बात में
जम नै
बरसण लागा बादळ
टाबर टोळी गावण लागा
....... ढाँकणी में ढोकळो
मेह बावजी मोकळो........
अर
तरसाई धरती
लागण लागी
सरसाई सी, हरसाई सी,
सिंझ्या री बेळ्यां
उगीणा आकाश में
तणग्यौ सुहावणौ सो
सात रंग रो धनुष
जणी रै लारै ही
खाद-बीज रे खातर
टेक नै अँगूठा
जुटाबा लागौ
बोवणी रो सरंजाम
धरती रो धणी
अर
पळटण लागौ
बहियाँ रा पाना परै पाना
दो भाँत री बहियां रो धणी!
बीत गिया
थोड़ा सा दिन
अर करसाण
भूखौ तिरस्यौ
मोरां नै उगाड्यां
खौदतौ-नींदतौ रियो खेत नै
सम्भालतौ रियो कुळपो
ताड़तो रियौ तोता
गुमातौ रियौ गोफण
खड़ो-खड़ो डागळा पै
खेत रे बीच
रोप्यां एक बिजूकौ
अर
बण'नै सैलाणी भंवरौ
विदेसां सूं मंगायोड़ी कारां में
सोळा सिणगार सज्यां
हवेल्यां री धराणी रै लारै
करतो रियौ सैल
हरया-भरया
पर्वतां-घाटयां-झरनां री
दो भाँत री बहियां रो घणी!
थोड़ा दिन और बोत्या
हाथ में हँसिया लियाँ
काट'नै सगळी फसलां नै
ले आयौ खेत सूं
खलिहान में करसाण
अर
खुशियां में
हिलोळा लेता हिया सूं
उपज नै भेळी कर'नै
कर दियौ
धरती रे धणी
धरती पै धान रो ढेर
जणीं नै बोरचां में भरनै
बैलगाड़ी में भरण सूं पैल्यां ही
खलिहान में
आ बैठो
हाथ में उगाई रो पानो लियां
दो भाँत री बहियाँ रो धणी!