थूं जाणे है

आपरा फरजंद नै

थारी निजर में

कीं छानों नीं है

सगलो संसार थारो मढ है

अर इण रै आंगणीये

रपटोला करण आला

म्हे सगला थारा काबा हां मावड़ी।

स्रोत
  • सिरजक : रेवंत दान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी