मूर्ति बनाण आळे गी,
कद कांई जात हुवै।
बो तो बस कलाकर हुवै।
माटी में आपरो पसीनो रळा,
हाथां पगां सूं मथ,
गारो तैयार करै।
फेर लोधो लोधो लेगे,
नुवां नुवां निर्माण करै।
बीं गारै सूं बो चिड़ी बणावै,
बीं लोदै सूं ही भगवान रचै।
फेर पक्यां पाछै
अै चिड़ी, तोता अर भगवान
सड़क किनारे खूब सजै।
एक ही माटी गा गजब खिलौणा,
न्यारा न्यारा रूप बिकै।
चिड़ी, कागला पड़्या आळां में,
मिंदर में भगवान सजै।
फेर जोत जगै अर हुवै आरती,
ऊँची जात रा लोग हाजरी भरै।
बारै खड्यो मुळकै बो खिंयो नायक,
बीं गी मुळक कसूतो वार करै।
मनै अछूतो मानै अै सगळा,
मेरी कलाकारी नै लुळ लुळ निवण करै।
वा अै माटी तेरी करणी,
बता, तूं तो नीं जात पांत करै?
तू भी के जात पांत करै?