लियां काळ री कावड़ कांधै

काळबेलियो आवै।

किंयां मौत स्यूं पोखै है

देखो रै जिनगाणी ?

खाली हाथां नाग नाथियो

विष री लकब पिछाणी,

जग रै भै नै किसब बणायो

ईं रै पाण कमावै,

लियां काळ री कावड़ कांधै

काळबेलियो आवै।

पड़्यो पताळां बारै आयो

पूंगी री धुण सुणतां

जबर निजर रो खेल, फेर के

लागी ताल पकड़तां ?

डरै जको ही मरै, नहीं तो

कुण कोई नै खावै ?

लियां काळ री कावड़ कांधै

काळबेलियो आवै,

डंक मारणूं भूल बापड़ो

निज रो जीव लकोवै,

काळ कळा रै आगै निमळो

सामूं टग टग जोवै,

हुयो हुकम रो चाकर फणधर

जोगी नाच नचावै,

लियां काळ री कावड़ कांधै

काळबेलियो आवै।

स्रोत
  • पोथी : कन्हैयालाल सेठिया समग्र ,
  • सिरजक : कन्हैया लाल सेठिया ,
  • संस्करण : प्रथम
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