काजळ काळौ रंग कियां पायौ रै
उजाळो कैवै मावस रौ जायौ रै
कुण नै पूछां सांची बात
कुण रै बतावै सांची बात
अंधेरो आळ्यौ कियां मुस्कायौ रै॥
आंख्यां है मन री भायली
आंख्यां फिरै है मन नै ताण
प्रेमी नै आंख्यां है प्राण ज्यूं
भोगी नै आंख्यां है प्राण ज्यूं
भोगी नै है चुभता बाण
काजळ आज कुण रै लगायौ रै॥
छतरी-पल्क, कोयां-पालकी
रण में रतन होवै ढ़ाळ
बदळी में गोरा चांद ज्यूं
मूंडा पै है काळा बाळ
सुख-दुख समधण अरथ बतायौ रै॥
संत करै जुग-जुग साधना
मायड़ करै जियां त्याग
बिरणी की पळकै है आत्मा
रातां ही उजळौ सुहाग
प्रेम-परधन अजब बणायौरै॥
जमुना किनारै गोकुळ गांव में
काळीदैं में काळौ नाग
धूजता, भोळा गुवाळ सब
पांणी में लागी ज्यूं आग
लाडला जसोदा रा लाल जी
दे नाखी दड़ी रै उछाळ
नाग, नाथ जद रै नीकळ्या
काळा होग्या ए नंदलाल
परमारथ रौ बरत बतायौ रै।
काजळ काळौ रंग कियां पायौ रै॥