दिन आंथ्यो न्हं हाल
बीड़ी भी न्हं बुझी
बूँळ्यां के नीचे बैठ्यो बूढ्यार मनख
न्हाळे छे कुणकी बाट
ऊ बरस्यो छो
ऊं साल
जीं के बार पाछै कहां बरस्यो?