दिन आंथ्यो न्हं हाल

बीड़ी भी न्हं बुझी

बूँळ्यां के नीचे बैठ्यो बूढ्यार मनख

न्हाळे छे कुणकी बाट

बरस्यो छो

ऊं साल

जीं के बार पाछै कहां बरस्यो?

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली- राजस्थानी भासा मांय जन चेतना री तिमाही ,
  • सिरजक : अम्बिका दत्त ,
  • संपादक : श्याम महर्षि