जुध छिड़तां सगळां सूं पैलां

कविता मर जावै

कठण पयोधर सूं कसमसता

सैल घमोड़ा नै झेलण री सीख दिरावै

तरवारां री बात करै केसां सूं डरता

सीस हथेळी माथै धर दौ, प्राण वार दौ

लोही सूं सींचौ धरती नै, मातभोम री देस-देव री

हीमत री, वीरत री बातां चालण लागै

कवि बण जावै अपरूप जिनावर जंगळी

जुध छिड़तां सगळां सूं पैलां

कविता मर जावै।

देस-भगत री भगती सूं कोनी चालै काम

जुध रौ के कविता रौ

मौत परायां री रढ़ियाळी

अपछर जैड़ी रूपवती है

कवि रै तौ जोगी कोनीं

कविता कोनी जुध

जुध में कविता कोनीं

कविता कोनीं बिड़दावण में

कायर सूरां रा बखांण में

कविता कोनी है मरियोड़ा जस गावण में

जुद्ध मिनख सूं आगै बधग्यौ है मसीन में

जुद्ध देस रौ न्यूतै है सगळां देसां नै

मिनख, लुगाई, टाबर, पंछी, रूंख, जिनावर,

पाणी, पून, अकास, जुद्ध में मिट जावै है

जीवण तौ बुझ जावै जग रौ सौ बुझ जावै

आखी दुनिया बण जावै निरवंसी

भूगोल बदळ जावै

इण कारण कविता है जुध री अलख पीड़ में

सांचा कवि नै फगत जुद्ध री करुणा सूझै

जुद्ध री जीत, मरण री मौत

सदा वांणी में गूंजै

जुद्ध-विराम हुयां रै पैलां

(पल भर पैलां)

जिकौ सिपाही मर जावै है

जिकौ जुद्ध नै मारै, सांयत कर जावै है

वौ कवि व्है है

कविता री सौरम नै जग में भर जावै है।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : सत्यप्रकाश जोशी ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी