लोग ठेठ सूं
भटकण लाग्या
पेट-पीठ रा खेल में
लूगड़ी संग अंगरखी फाटी
अेडी फाटी गेल में
ऊंडी आंख्यां नाड़ डोलती
जग री रेलमपेल में
धूप झेलता
छांव ठेलता
कैदी जीवण जेळ में
राजाजी रंगम्हैल में
खेत निराया
फसलां काटी
असल डूबगी भेळ में
स्याळ भरोसै खेती पाकै
कागलियां री सैल में
कूड़ा-कूड़ा भांग उळीचै
सड़क सांकड़ी गेल में
मिनकी थामै
दूध चाकरी
तिरै माखियां तेल में
गीली दाझै
सूखी दाझै
लकड़ी धुप्पल-धैल में
घणी डूबगी
अब नीं डूबै
जोत-उजाळी तेल में।