खाली सांस लेवण रो

नाम जीवण कोनी

कदै तो जीवण

सुखां री खाण लागै

तो कदैई दुखां री लाय

आज रै बगत में

जीवणो सौरो कोनी

इण मुंगीवाड़ै में

घर रो खर्चों

पूरो कोनी पड़ै

ऊपर सूं

टाबरियां री इच्छावां

उणा री पढाई-लिखाई

अर स्कूल री फीसां

मिनख सेवट कांई करै

कदैई-कदैई तो

जीवणो ओखो लागै

पण कांई करा

जीवणो तो पड़सी

तो पछे क्यूं नीं

हंस’र जीवां...।

स्रोत
  • पोथी : नेगचार पत्रिका ,
  • सिरजक : तारा ‘प्रीत’ ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • संस्करण : अंक-17
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