घूमचकारी सिस्टी घूमै, जीव चढ़ै गड़कै साच्याणी।

जातवेद-गौ-ब्राह्मण रै बळ, पोखै प्राण जगत रा प्राणी।

सोच जीवला लाभ’र हाण।

सावळ हिरदै मांय पिछाण।

आत्म तत्व नै कुण-के जाणै? कुण हिरदै रा बोल पिछाणै?

तूफानी अंधड़ रै भेळै, निज स्वरूप नै कुण-के जाणै?

भोड हुवै ज्यूं भूण फिरै क्यूं? मिनख आपरै गाणी-माणी।

जातवेद-गौ-ब्राह्मण रै बळ, पोखै प्राण जगत रा प्राणी।

सोच जीवला लाभ’र हाण।

सावळ हिरदै मांय पिछाण।

सूर्य-सोम रै सोन उजाळै, जोत सांवठी दीपै-पळकै।

विद्या देय अविद्या नासै, ग्यान-बोध रा मोती खळकै।

बिरम-तणी सत धार दूधिया, कामधेन जीवन सैनाणी।

जातवेद-गौ-ब्राह्मण रै बळ, पोखै प्राण जगत रा प्राणी।

सोच जीवला लाभ’र हाण।

सावळ हिरदै मांय पिछाण।

शीळ सत्य तप-तेज जिकै नै सुरसत माता सदै रुखाळै।

बिरम-तणी रिच्छा सूं नितकी, अंतस मन रा भाव पखाळै।

ध्यान-चींत री ओक मांड नै, पीवै ग्यान अमीरस पाणी।

जातवेद-गौ-ब्राह्मण रै बळ, पोखै प्राण जगत रा प्राणी।

सोच जीवला लाभ’र हाण।

सावळ हिरदै मांय पिछाण।

शिव-वैष्णव री किरपा भेळै, भाव सांतरा मन में राखै।

कल्पलता रै इमरत फळ नै, ब्राह्मण बांट’र खावै आखै।

जीव-तणै हित करणै सारु, रैय बोलता मीठी वाणी।

जातवेद-गौ-ब्राह्मण रै बळ, पोखै प्राण जगत रा प्राणी।

सोच जीवला लाभ’र हाण।

सावळ हिरदै मांय पिछाण।

ब्राह्मण बिन जग मांय अंधारै री तम चादर कुण अलगावै?

मेट हियै अग्यान मिनख रै, कुण मन में सत भाव जगावै।

सून लखावै आखै-सगळै, ब्राह्मण बिना आणी-जाणी।

जातवेद-गौ-ब्राह्मण रै बळ, पोखै प्राण जगत रा प्राणी।

सोच जीवला लाभ’र हाण।

सावळ हिरदै मांय पिछाण।

स्रोत
  • पोथी : जागै जीवन जोत ,
  • सिरजक : सत्यनारायण इन्दौरिया ,
  • प्रकाशक : कार्तिकेय प्रकाशन (रतनगढ़) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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