जीवण रो दीप जळै
छोटी लोय लगन पण मोटी
धूंओ घण उगळै
गांव उजाळो घर अंधियाळो
आपणो आप छळै
जीवण रो दीप जळै
झिलमिल-झिलमिल बाती जळसी
तिल-तिल तेल बळै
हंसतो जाग्यां बुझसी रोतो
ज्यूं-ज्यूं रात ढळै
जीवण रो दीप जळै।
मांय जळ अर जळ बारणै
ऊपर, बीच, तळै
दीप जळ’र जळावै दुनियां
ओ के प्यार पळै?
जीवण रो दीप जळै।
आयो सळभ प्रेम मदछकियो
मिलवा नै मचळै
ओ गीली माटी रो बासण।
मिल भर बांथ गळै
जीवण रो दीप जळै।
रस कस लुटग्यो ठाली ठीकर।
तेरा कियां फळै
लाख जतन करले कोई,
ना विध रा लेख टळै
जीवण रो दीप जळै।