खूणै में ले जाय‘र

ठोक दियो एक घुसण्ड

अर बोली

‘मा री सोगन लाग सी

जे बोल्यो बीं तीखली सागै

आज पछै।’

स्रोत
  • सिरजक : दुष्यंत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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