जे पूंछ सको तो

पूंछ यो आंसूड़ा

हरेक आंख रा

अर जे-

लिख सको तो

लिख द्यो

सबदकोश रै

हर पानै माथै

प्रीत रा आखर!

स्रोत
  • पोथी : खोयोड़ै समदर रा सुपना ,
  • सिरजक : विजयसिंह नाहटा
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