म्हैं खत भेज्यौ तो

जवाब में

सूखो गुलाब आयौ है

म्हैं आंख्यां मांय

भर लिया आंसूं

खूब जवाब आयो है

दिल रै चैन री दवा

मांगी तो

दरद बेहिसाब आयो है।

ख्वाहिसां मुळक’र

कैवै है

खाली ख्वाब आयो है।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत फरवरी-मार्च ,
  • सिरजक : ज़ेबा रशीद ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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