जन जन रै मन हेत चाहीजै

जुग सांधे संकट बेळा सगळा सुभट सचेत चाहीजै

जिण जनता में फूट फजीता, खुली किंवाड्यां लोग नचीता

तक मिळतां उण घर में बड़सी, लूंक सियाळ्या गंडक चीता

जन बळ भेळप बजर कटै, पण तन बळ तेज समेत चाहीजै

जन जन रै मन हेत चाहीजै

धरम ढूंग रा मुळ्या खलीता, जात पांत रा जिग्या पलीता

जुग जीवन में लाय लगावण, पनप रह्या जन लोई पीता

फूट समंद री भंवरां तिरबा, जन मन भेळप सेत चाहीजै

जन जन रै मन हेत चाहीजै

लिख्या लेख सूं लोक मुगत है, पण जीवण जंजाळ जुगत है

नवा राव ने नवा रावळा, कुण जांणै जन री हुकूमत है

राज करै वांरी रसना में, करी बात रो वैंत चाहीजै

जन जन रै मन हेत चाहीजै

अेक चरै चौरासी पीसै, उण घर समता किण विध दीसै

जन रा खायक करै खंखारा, जन रा भीड़ू मुड़दा घींसै

धाड़वियां रै धूड़ माजनै न्हाकण मूठी रेत चाहीजै

जन जन रै मन हेत चाहीजै

नेता हाकम ने इदकारी, हळधर कळधर जनता सारी

अेकमना पुरसारथ कर नै, मुलक करै केसर री क्यारी

भुज मैणत रा सखरा सीरी, खरौ कमायौ खेत चाहीजै

जन जन रै मन हेत चाहीजै

धर खेंचण दुसमण सींवाड़ै, दो चीता दोनूं दिस दाड़ै

अेकमनौ जाग्यां जन जोबन, अेक भिड़ै इक्कीस पछाड़ै

बजरबळी भारत रै रथ रा, सगळा तुरंग कुमेत चाहीजै

जन जन रै मन हेत चाहीजै

रजथांनी कसमीर बंगाली, पंजाबी उड़िया मळिपाली

करणाटक गुजरात मराठा, केरल उतराखंड रा हाळी

वां में भुज मैणत भेळप री, नव जीवण री नैंत चाहीजै

जन जन रै मन हेत चाहीजै

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : गणेशीलाल व्यास उस्ताद ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण