काळी नीं ही

कोई बंग

गाभा भी नीं हा

धूड़िया धूळ जीवाश्म

जका सोध्या है आज।

बोरंग चूंदड़ी

केसरिया कसूंम्बल में

सज्योड़ी सुहागणां

खणकांवती हो सी

सुहाग पाटला

लाल-पीळा-केसरिया।

बगत रै जै’री

बळतै डस्यौ हो सी

जणां तो उतर्‌यो है

रंग-बंग माथै काळो

काळीबंगा करतो

सोनळ अतीत नै।

स्रोत
  • पोथी : आंख भर चितराम ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘काग ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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