कठै सूं करूं मौहरत
थारी खिलाफत रौI
भुगत लिया कीकर
इतरा बरस,
उघाड़ै डील
आज निकळ गियौ बारै
परखण सारूं
थारी निजरां रौ तापI
थूं
कद दीनी छूट
म्हांनै बोलण री,
आज तांई
क्यूं नीं सुण सकियौ
बोल म्हारै धीजै राI
उतरतौ ढाळ भाखर री
मगरै रै पूठै
म्हैं देखली बुणगट
पसवाड़ौ पलटती बेकळू मांयI
थारौ साच
बुचकारै म्हांनै
जांणै करसौ बुचकारै बळदां नै
जोतण सूं पैलीI
हींडा हींडण रौ लालच देय
म्हांनै बतावतौ रैयौ
छीणां रा कड़ा
काच रै म्हैल मांयI
इण बैम में
पाळता रैया सरप
कै एक दिन
सोध लैवां मारग खजानै रोI
म्हारै पसेवै री धार
म्हांरी जमीन माथै
म्हांरी पगथळियां रा अैनांण मांडती
अबोली ऊभी हैI
कठी गिया थारा वे ठुमका
जका थूं
म्हांनै तोरण माथै बताया हा,
अजे तांई याद है
एक एक रुपियै री
निछरावळ सांरू
वो थारौ झुकणौ
लटका लेवणौ,
आज म्हें सुणणी चावां
थारै चातरंगपणै री
आडी तिरछी चालांI
मकान री छीयां
सूरज रै चकारै साथै नींI
थूं मकान री छीयां है
म्हें सूरज हांI
औ आभौ, आ धरती
म्हारै बूकियां रै पांण
आपरी सौरम पसरावैI
थूं जिणरौ करै है धणियाप
वा थारी कमायोड़ी नीं है
म्हांरी भळायोड़ी है
थनै म्हे सूंपी हांI
घणा दिन चराया
आपरा डांगर
सुनियाड़ जांण,
थूं हाळी है
थारौ काम है फसल री रुखाळी,
इणरौ बिगाड़ होयां
वसूली
थारै सूं इज करीजैलाI