ओ जगत
मोटो सून्य है एक
उच्चारां अठै
जका सबद
बै ई आय पड़ै
पाछा
आपांरी
झोळी मांय
मीठे री
चावना सूं भरियोड़ै
खारै पुरसारां नै
समझणो जरूरी है
जगत रो
ओ मिजाज॥