बूंद पड़यां

पिरथी तळ

छम-छम नाचै जळ।

बावड़ी हरखै

बरसण री आस

जीवै जळ।

नीं बरस्यां सूक मरै

विरह।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : सन्तोष मायामोहन ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham