आंधी झंझोड़ै जोर जबर

मोड़ नाखै, नागो कर मेव में

छूटै सग्गाट सूं, जोवै ऊंचो मून में

दीठ नीचै बींरो जोस रळै खेव में।

फेरूं सियाळै रै अंधारै में

आपरी विजै रो भरोसो मान

आंधी बी रै गरब नैं चूर करै

बावां मचकोड़ै मोथो हेत जाण

आपरी नजाकत में लड़तो

पारखी री ताकत बेगी बरतीजै

जोर सूं बींनैं नाजकपण नकारतो

आपरो हेत दूजै खातर बजै...

स्रोत
  • पोथी : लेनिन काव्य कुसुमांजळी ,
  • सिरजक : स्टीपान स्चीपाचेव ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थान भासा प्रचार सभा (जयपुर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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