जद तांई अै सांस चलैली

हरै हिये में पीड़ पळैली

चंदा रो दीदार करूंला

किरण रो इंतजार करूंला

पवन गगन में रास रचैली

महक फूल में वास करैली

सरसूं री मनुहार करूंला

किरण रो इंतजार करूंला

कमल खिलैला आसा रा

पंख बळैला निरासा रा

सबद—अरथ में सार भरूंला

किरण रो इंतजार करूंला

कंपण जद तांई सागर में

रस गीता री गागर में

कसक हिये री म्हूं हरूंला

किरण रो इंतजार करूंला

काजळ चमकैलो जद-जद

गजरो मुळकैलो जद-जद

मांग में सिंदूर भरूंला

किरण रो इंतजार करूंला।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत फरवरी-मार्च ,
  • सिरजक : मुखराम माकड़ ‘माहिर’ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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