आभै रै उण पार, उग्यो रवि ले आशा
अपार।
झांका घालै प्रकृति रै घुंटै रै पार
ज्यूँ सुगना रै सात रंगां मांय,
इन्द्रधनूस लेवै आकार
गिगनार माथै खिंडावै आभा
जाणै हर धर्म, हर जात, हर वर्ग रौ
हो रह्यौ मेळ मिळाप
हरख अर मूंडा माथै मुळक जगाई है।
इन्द्रधनूसी रथ माथै जाणै बरात चढ़’र
आयी है।
बादळ नै कांई ठाह मोरिया नाचै
नभ माथै अठै बिरखा स बाजा बाजै