ठाह कद होसी,
ठाह क्यूं होसी...
चिड़ी री चीस
चौबारै तांई।
मिनकी मरोड़ै मूंछ
खिंडा घुरसलो
जीम परी इंडा-
थै सुख सोच
कचरो बुहारो।
कूरियो कठै लिखाया भाग
भागणो भूल
पूंछ भर हिलाई...
आंठरग्यो पाळै री पोट ओढ
भीड़ कम हुई मान लियो आपां।
कुतड़ी रो हिड़काव मान
डांग मार पधरा दी आपां
बा काळजै री पीड़
काळजै मोस्यां
बिखरती घुरी
मरता बचियां रा
रोजणा गावै ई।
बस एक मंगतै रै
गड्यो हो कांटो
बावळो बो
पूंछै हो आप री
कुळती पगथळी...
बच्योड़ै कूरीयै नै
गोडां घाल हिंवळास देंतो।