क्यूँ भेळा होया मनख

काँई होयो-कुण ने काँई कर्यो

जी नें काँई भी न्हेँ क्ही-ऊ भी न्हँ बच्यो

जी नें क्ही-ऊ भी मर्यो।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : अंबिका दत्त ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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