याद आवै वै प्यारी बातां

गांव खेत री न्यारी बातां

पढ़-लिख’र कठै पूगग्या

मिलै सब जगै खारी बातां

अेक दिन म्हैं जरूर करूंला

जे रैयी अधूरी सारी बातां

म्हैं तो खतम करणी चावूं

फेरूं रैवै जारी बातां

दफ्तर रो अैड़ो डर बैठो है

लिखूं करूं सरकारी बातां

ऊजळा चोळा में मिल जासी

मक्कारी, चोरीजारी री बातां

जाणै कठै लारै छूटगी

प्यारी अर किलकारी बातां

जोवूं बाटां उण बगत री

होसी थारी-म्हारी बातां

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : दशरथ कुमार सोलंकी ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि सोध संस्थान राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़
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