बै ऊपर उठाया दोनूं हाथ
जीवण रा समंदर में
डूबती थकी जिजीविषा
ऊपर-नी चै आता-जाता
हालातां सूं गोता लगाता
फेर भी
मन मांय धारयां
नूंवी आसा अर विश्वास
भलांई
व्है घणी ऊंडी-ऊंडी गैराई
पार करांगा
सब मुश्किल
पावांगा मंजिल
है यो
पूरो पाको
दृढ निश्चय, विश्वास
बै ऊपर उठाया दोनूं हाथ।