जोबन छळक्यो जायै
बाळपण पाछा पांव धरै
सूरज री उगाळी
फूलां री डाळी
मुळक’र मांगै हेत
किरणां सूं खेलै
तोल पग मेलै
धूज'र धिसकै रेत
चित री चौकड़ी
लाज री नौकड़ी
बांधै काळजै कोर
नैणां रमियावै
अधर फड़कावै
हिवड़ै हठीली हिलोर
भैंस री लार्यां
रूप सूं वार्यां
उजळ सी धरती री दीव
कुवै री कानीं
निजरां सैलानी
मुळकै जवानी री सींव
दो छलांग भरी
पण सोच भरी
कोई देखै नगरी रा लोग
सासर ना मानै
के ओलै के छांनै
के मोद सरम संजोग
तीसी पळक
खेळ जावै छळक
प्यास बुझणै री बातां राख परै
जोबन छळक्यो जाय
बाळपण पाछो पांव धरै।