म्हूं कतई टाळूंगू

कोई बी चीज नै

अगला जनम कै लेखै

म्हूं कतई मानूंगू

बात जमाना की

कै मरबो तय छै

म्हूं कतई सोचूंगू

कै जिंदगी पल भर की छै

म्हनै जद बी मरबो चायो

मर सक्यो

जद बी जीबो चायो

जी सक्यो

लेखै मानूंगू म्हूं

म्हारा मानबा नै बी

अर बाट न्हाळूंगू

हर चीज पाछी आबा की

जै म्ह सूं कुसका ली गी

म्हूं बाट न्हाळूंगू

हर वा चीज मलबा की

जै म्हनै मलै गी कोनै

म्हनै बेरो छै

कै अस्या गेला का घूम पै

म्हूं एकलो ऊभो रहूंगू

अर जमाना नै

बावळो लागूंगू

पण म्हूं म्हारा बावळा लागबा नै बी

कतई नं टालूंगू

अर कतई बी नं टालूंगू

म्हारा मिनखपणा नै।

स्रोत
  • सिरजक : किशन ‘प्रणय’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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