नूवों घर बणाण खातर

पुराणा चूनै रा मकान अर झूंपड़ा

फौड़ै हा

माँ बोली बेटा एक झूंपड़ो तो पड़यो

रहण दे

बेटो मानग्यो

दो नूवां मकान बणग्या

बेटो माँ कनै हो

बोल्यो

अेक में म्हे रह लेस्यां

एक में मेरी जाण पिछाण रा आसी

जद बैठण रै काम आसी

माँ बोली बेटा मैं अर तेरो बापू?

बेटो बोल्यो

झूंपड़ो राख्यो हो नी थे

माँ रौ नूवैं मकान में सोवण रो

सपनो, सपनो ही रह ग्यो।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’ ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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